शुक्रवार, 31 मार्च 2023

रोचक जातक, सामाजिक व सनातन कथाएं 120

🌺🌺🌺"छत का पंखा"🌺🌺🌺

शाम को घर लौटते समय पिता का मन कुछ उद्विग्न सा था। बेटे का अब तक फोन नहीं आया था, तो क्या रिजल्ट आज भी नहीं निकला?

हो सकता है ना निकला हो, या क्या पता, निकला हो। फिर तो बेटे का फोन आना चाहिए था,तो क्या ??

बस! इससे आगे सोचने की ताब ना थी उनमें, दिल बैठता सा महसूस हुआ था।

इसी उधेड़बुन में घर पहुँचे तो पत्नी को आँगन में सोचों में गुम पाया।

"क्या बात है, चूल्हा नहीं जला अब तक?"

"बस, आग सुलगाने ही जा रही थी।"

"बेटे ने फोन किया था?"

"हाँ"

"रिजल्ट निकल गया उसका?"

"हाँ" -पत्नी ने संक्षिप्त जवाब दिया।

आगे कुछ पूछने की जरुरत नहीं थी। पास होता तो पत्नी उनके पूछने से पहले ही पूरी कथा सुना रही होती।

"विचलित तो बहुत होगा वो।"

"हाँ, पर आपको लेकर।"

"मुझे लेकर ?"

"कह रहा था, पापा का सपना तोड़ दिया।कर्जे के बोझ से दबे कैसे उन्होंने मुझे कोटा भेजा, मैं ही जानता हूँ।"

"अरे, तो क्या हुआ? हर बाप अपने बेटे के लिए ऐसा करता है।पागल कहीं का, फालतू बातें सोचता रहता है। और कुछ कहा क्या उसने?"

पत्नी की आँखों में आँसू आ गये- "कह रहा था, मन करता है कि पंखे से लटक जाऊँ।"

"अरे पागल! और तू मुझे अब बता रही है।"

घबराते हुए उन्होंने जल्दी से फोन लगाया बेटे को। दूसरी बार जाकर फोन लगा...

"अपनी माँ से क्या अंट-शंट बक रहा था?"

"कुछ भी तो नहीं पापा"

"और तेरी आवाज को क्या हुआ?  

हमेशा चहकता रहता था और आज इस तरह।"

"पापा, मुझे माफ करना।"

"माफ! तूने चोरी की, किसी का अहित किया?"

"नहीं पापा, मैं फिर से फेल हो गया।"

"तो?"

"आपका सपना टूट गया।"

"वो मेरा नहीं, तेरा सपना था पगले, मैं तो बस तेरी जरुरतें पूरी कर रहा हूँ।"

"फिर भी, कालिख तो पोत ही दी आपके चेहरे पे"

"बिल्कुल नहीं बेटे! तूने कुकर्म किये होते, किसी लड़की का शीलभंग किया होता, तब मेरे चेहरे पे कालिख पुतती। तू केवल फेल हुआ है, कागजी पढ़ाई में।"

"पर फेल होने का नतीजा तो आप जानते हैं ना पापा?"

"अच्छी तरह जानता हूँ। फेल होने का बस इतना ही परिणाम होगा कि तू कभी जीवन में इंजीनियर नहीं बनेगा।"

"ये कम है क्या पापा?"

"बहुत कम। इस विराट जीवन की उपलब्धि क्या केवल डॉक्टर, इंजीनियर या फिर क्लास वन का नौकर बनने में है। ये मात्र रोटी कमाने का जरिया भर है बेटे और जीवन में ईमानदारी से रोटी कमाने के हजारों तरीके हैं।"

"पर मैंने तो कुछ और सोचा था पापा"

"क्या?"

"यही, कि मैं वो काम करुंगा जिसपर आप गर्व करेंगे, समाज में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी।"

"मेरा गर्व तो तू है बेटे और आजतक तेरे बारे में कुछ भी बुरा नहीं सुनने को मिला मुझे किसी से। इससे अधिक प्रतिष्ठा और क्या होगी? "

"फिर भी....!"

"अरे क्या फिर भी।  ना तेरे बाबा किसी बड़े पद पर थे, ना मैं। तो क्या हमारे खानदान की नाक कट गयी, या हममें से किसी ने आत्महत्या कर ली।"

"मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा पापा।"

"कुछ समझना भी नहीं है। तू इन सबको भुला और मन लगाकर पढ़। आगे ईश्वर ने जो तेरे भाग्य में लिखा है, वो होगा। और हाँ, दिवाली की छुट्टी में घर आ, हम मिलकर इकट्ठे सफाई करेंगे, खरीददारी करेंगे, दीये जलायेंगे।"

"हूँ"

"आ, इस बार तुझे खेत घुमाता हूँ। खूब मोर और हिरन देखने को मिलेंगे। मधुमक्खियों ने बगीचे में छत्ता भी लगाया है, उसमें से शहद निकालेंगे और हाँ, इस बार फूलों की खेती भी अच्छी हुई है। तितलियों के पीछे भी भागेंगे, देखना, बहुत मजा आता है इसमें।"

दूसरी ओर से बेटे की हँसी गूँजी--"क्या पापा, आप अभी भी बच्चों जैसी बातें करते हैं? "

"अच्छा! तो मेरा ही जन्मा, मुझे ही सयानापन सिखा रहा है!"

"तो सीख लीजिये ना, क्या हर्ज है?"

"सयानापन अपने साथ संताप लाता है बेटे। मेरी तरह बचपने को बचाये रख, जीने का इससे बेहतर तरीका और कुछ नहीं है।"

दूसरी तरफ बेटे ने चैन की एक लंबी साँस ली। जीवन का मर्म वो समझ चुका था। 

छत से लटकते पंखे से अब भय की आँधी नहीं बल्कि ठंडी हवा आ रही थी।


 हो सके तो इसे वायरल करें तो ताकि हम कब, कहां, किसका जीवन बचाने में इस मैसेज के माध्यम से सफल हो जाए ।


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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

।।जय जय श्री राधे।।

।।जय जय श्री राम।।

।।हर हर महादेव।।


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