Travels into Eternal Wisdom: Examining Sanatan's Saintly Precepts First of all, Greetings from Saint@Sanatan, your online spiritual retreat! We set out on a profound journey into the eternal teachings of saints within the intricate fabric of Sanatan Dharma in this hallowed sanctuary. Concerning the Blog: Saint@Sanatan is more than simply a blog; it's a spiritual journey delving into the profound knowledge found in the teachings and lives of the saints who have walked the Sanatan Dharma path.
सोमवार, 27 नवंबर 2023
रोचक जातक, सामाजिक व सनातन कथाएं 121
🕉️🪔 देव दीपावली 🪔🕉️
🪔देव दीपावली पर्व उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में दीपावली के पंद्रह दिन पश्चात कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गंगा नदी के किनारे रविदास घाट से लेकर राजघाट के अंत तक असंख्य दीपक प्रज्वलित करके गंगा नदी की पूजा अर्चना की जाती हैं। असंख्य दीपकों और झालरों के प्रकाश से तट एवं घाटों पर स्थित देवालय, भवन, मठ-आश्रम आदि जगमगा उठते हैं, मानों काशी में पूरी आकाशगंगा ही उतर आयी हों। दीप-दान करने के पश्चात, महाआरती दिन का मुख्य आकर्षण है जो दशाशव्मेध घाट पर आयोजित होता है। वाराणसी की महान हस्तियों द्वारा नृत्य प्रदर्शन भी किया जाता है।
🪔भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इस दिन हुआ था इसलिए इस दिवस को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। त्रिपुरासुर के अंत से प्रसन्न देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप प्रज्वलित कर दीपोत्सव मनाया था और तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनायी जाने लगी।
🪔इस दिन भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा के लिए तथा सृष्टि को बचाने के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था। कार्तिक पूर्णिमा को श्री हरि के बैकुण्ठ धाम में देवी तुलसी का मंगलमय पराकाट्य हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा को ही देवी तुलसी पृथ्वीलोक में अवतरित हुई थी। भगवान कृष्ण के धाम गोलोक में इस दिन राधा उत्सव मनाया जाता है तथा रासमण्डल का आयोजन होता है।
रविवार, 26 नवंबर 2023
बुधवार, 15 नवंबर 2023
Indian Festivals
🌸 भाई दूज (15.11.2023)🌸 एक दूसरे के प्रति कृतज्ञता बढ़ाने वाला त्यौहार!
भाईदूज के दिन प्रत्येक भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए और बहन को उसका औक्षण (किसी देव या व्यक्ति का दीपक जलाकर आरती उतारना) करना चाहिए। यदि किसी स्त्री का कोई भाई न हो तो उसे अपने किसी ऐसे पुरुष मित्र का औक्षण करना चाहिए जो उसके भाई के समान हो और यदि यह भी संभव न हो तो चंद्रमा का औक्षण यह भावना करके करना चाहिए कि यह उसका भाई है। 'इस दिन किसी भी पुरुष को अपने घर में अपनी पत्नी के हाथ का बनाया खाना नहीं खाना चाहिए। उसे अपनी बहन के घर जाना चाहिए और उसे वस्त्र तथा आभूषण देकर वहीं भोजन करना चाहिए। यदि उसकी कोई बहन नहीं है तो वह चचेरे भाई के घर या किसी ऐसी महिला के पास जा सकता है जो उसकी बहन के समान हो और वहां भोजन कर सके।'
Festival that increases gratitude about each other !
On this day, a brother should go to his sister’s house and the sister should do his aukshan (waving of lit lamps in front of a Deity or a person). If a woman does not have a brother, she should do aukshan of a male friend who is like a brother to her and if that is also not possible, she should do aukshan of the moon, having an emotion that it is her brother. ‘On this day no man should eat food in his own house cooked by his wife. He should go to his sister’s house and after presenting her with clothes and ornaments, he should have a meal there. If he does not have a sister then he can go to a cousin’s house or to any woman who is akin to his sister and have the meal there.’